Industrial Revolution in Hindi (औद्योगिक क्रान्ति)
“क्रांति” शब्द का अर्थ किसी भी क्षेत्र में होने वाली असाधारण उथल पुथल से लगाया जा सकता है। अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। सामान्यतः उद्योग में उत्पादन (manufacturing) के क्षेत्र में होने वाली क्रांति को औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है।
इतिहासकार रायकर के अनुसार औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) की परिभाषा कुछ इस प्रकार से है: “हस्तकारी के स्थान पर वास्पयंत्रों द्वारा चालित उत्पादन और यातायात की प्रक्रियाओं में सामान्य रूप से परिवर्तन लाना ही औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) थी।”
मानव-सभ्यता के आरम्भ से उन्नीसवीं सदी के पूर्व तक मनुष्य सभी जरुरी चीजों का उत्पादन अपने हाथों और बनाये गए औजारों से करता था। इस समय गृह उद्द्योगों का प्रचलन था। वैज्ञानिक खोजों ने उत्पादन के तरीकों का चेहरा ही बदल दिआ। औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) से मानवीय श्रम का स्थान मशीनों ने ले लिया । जिसने कारखानों को जन्म दिआ। कारखानों के निर्माण स्वरुप उत्पादन के दर में वृद्धि हुई।
औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) ने मानव जीवन शैली को बदल कर रख दिया तथा अविष्कारों का आधार बना । नए अविष्कारों ने यह संभव कर दिया की मनुष्य हाथों से चलने वाले प्राचीन औजारों को छोड़कर शक्ति-चालित मशीनो का उपयोग करे। इस प्रकार बड़े बड़े कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन बड़ी मात्रा में होने लगा।
औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) की शुरुआत
औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) का आरम्भ ग्रेट ब्रिटेन में सन 1750 के बाद हुआ और धीरे धीरे पुरे विश्व में फ़ैल गया। औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। उसके साथ ही धातु से बने औजारों का निर्माण हुआ जिससे उद्योगों में आने वाले मशीनों के निर्माण को गति मिली।
कृषि क्रांति का प्रभाव
अठारहवीं सदि में हुए कृषि क्रांति (Agricultral Revolution) ने इंग्लैंड को औधोगीकरण का उपयुक्त स्थान बना दिया था। वहाँ के व्यवसाई लोग तथा कर्मचारी दूसरे देशों के कारीगरों की अपेक्षा ज्यादा कुशल और मेहनती थे और उनमे उन्नति की प्रेरणा भी अधिक थी।
कृषि क्रांति के परिणाम स्वरूप वहाँ खाद्य उत्पादन बढ़ा । जिससे वहां के नागरिकों को भोजन किफायती दामों में मिलने लगा। उनके पास बचे पैसों से वो उत्पादित वस्तुओं को खरीद सकते थे। ब्रिटेन में जनसँख्या वृद्धि से वहां के कारखानों में काम करने वाले मजदूर भरपूर मात्रा में उपलब्ध थे। ब्रिटेन की आर्थिक व्यवस्था भी काफी मजबूत थी। जिसने औद्योगिक विकास को काफी सहायता दी।
इसके अतिरिक्त ब्रिटेन का वातावरण भेड़ पालन के लिए अनुकूल था। जिसने वहाँ के वस्त्र उद्योग जैसे ऊन, खादी और सूती वस्त्रो के उत्पादन में बहुत सफलता दी।
आविष्कारों का योगदान
इंग्लैंड में उन दिनों कुछ नए यांत्रिक आविष्कार हुए। जेम्स के फ़्लाइंग शटल (1733), हारग्रीव्ज़ की स्पिनिंग जेनी (1770), आर्कराइट के वाटर पावर स्पिनिंग फ़्रेम (1769), क्रांपटन के म्यूल (1779) और कार्टराइट के पावर लूम (1785) से वस्त्रोत्पादन में पर्याप्त गति आई। जेम्स वाट के भाप के इंजन (1789) का उपयोग गहरी खानों से पानी को बाहर फेंकने के लिए किया गया। जल और वाष्प शक्ति का धीरे-धीरे उपयोग बढ़ा। वाष्प द्वारा चलने वाले यातायात के साधनो के आविष्कार से भौगोलिक दूरियाँ कम हुई।
इंग्लैंड में मशीनों को चलाने के लिए ख़निज बहुताय मात्रा में उलब्ध थे। नहरों तथा अच्छी सड़कों का निर्माण हुआ। व्यापर विश्वव्यापी बना। देश के कारखानों को चलाने के लिए कच्चे माल की आवश्यकता हुई। कच्चे माल को खरीदने के लिए तथा तैयार माल बेचने के लिए उपनिवेशों की स्थापना की गई।
नई व्यापारिक संस्थाओं, बैकों और कमीशन एजेंटों का प्रादुर्भाव हुआ। एक विशेष व्यापक अर्थ में दुनिया के विभिन्न हिस्से एक दूसरे से संबद्ध होने लगे। 18वीं सदी के अंतिम 20 वर्षों में आरम्भ होकर 19वीं के मध्य तक चलती रहनेवाली इंग्लैंड की इस क्रांति का अनुसरण यूरोप के अन्य देशों ने भी किया।
उत्पादन की नई विधियों और पैमानों का जन्म हुआ। यातायात के नए साधनों द्वारा विश्वव्यापी बाजार का जन्म हुआ। विश्वव्यापी बाजारों से आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था का जन्म हुआ। इस तरह परिवर्तनों की यह मिश्रित शृंखला आर्थिक-सामाजिक-व्यवस्था में आधारभूत परिवर्तन की जन्मदायिनी थी।
औद्योगिक क्रान्ति का समयकाल (Industrial Revolution Timeline)

औद्योगिक क्रान्ति के महत्वपूर्ण आविष्कार (Industrial Revolution Inventions)
१. फ्लाइंग शटल: फ्लाइंग शटल का आविष्कार जेम्स के ने किआ था। इसके अविष्कार से वस्त्र उद्योग के उत्पादन में एक अद्भुत बदलाव आया। जो काम पहले दो मजदूर करते थे वो अब सिर्फ एक आदमी से हो सकता था। मानव श्रम आधा होने से उत्पादन दुगुना हो गया। इसमें और भी कई बदलाव किये गए जिससे वस्त्र का उत्पादन और किसी उद्योग की अपेक्षा कई गुना बढ़ गया।
२. स्पिनिंग जेनी: स्पिनिंग जेनी का अविष्कार जेम्स हारग्रीव्ज़ ने किआ और उसे १७६५ में पेटेंट कराया। यह अविष्कार ऊनी वस्त्र उद्योग में बहुत कारगर साबित हुआ। इससे मजदूर अब पहले से ज्यादा उन घुमा सकते थे, जिससे उत्पादन में काफी वृद्धि हुई।
३. वाट स्टीम इंजन: जेम्स वाट ने पहला कारगर स्टीम इंजन बनाया जिसने पुरे विश्व को बदलकर रख दिआ। इस अविष्कार ने कम कारगर इंजनों को पीछे छोड़ दिआ। जेम्स ने अपने इंजन में कई बदलाव किये जैसे उसमे सेपरेटर कंडेंसर लगाना जिससे वह और भी कुशल और कारगर साबित हुआ। जेम्स ने अपने इंजन में क्रैन्कशाफ्ट और गियर्स भी लगाया जिससे वह आधुनिक युग के स्टीम इंजन का प्रोटोटाइप बन गया।
४. कॉटन जीन: कॉटन जीन का अविष्कार एली व्हिटनी ने १७९४ में किया था। इस आविष्कार के पहले कॉटन के बीजों को उसके फाइबर से हाथों से अलग किआ जाता था। ये काम बहुत श्रम जनक था और इसमें समय भी बहुत लगता था। इसके अविष्कार से किसानों को अधिक लाभ लगा। इस वजह से कई किसानों ने कॉटन को अपना मुख्य फसल बना लिआ।
५. टेलीग्राफ: टेलीग्राफ का अविष्कार सैमुएल मोर्स ने १८३७ में किआ था। जो औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) में एक बहुत बड़ा योगदान था। इस अविष्कार ने दूरभाष को बदल कर रख दिआ।
औद्योगिक क्रान्ति के परिणाम (Effects of Industrial Revolution)
औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के फलस्वरूप मानव समाज पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। मानव इतिहास में दो ऐसी क्रांतियां हुई जिसने मानव समाज व्यवस्था को बदल कर रख दिआ। कृषि क्रांति के फलस्वरूप मानव ने शिकार छोड़कर पशुपालन एवं कृषि को अपना पेशा बनाया तथा औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) के परिणाम स्वरूप कृषि छोड़कर व्यवसाय को प्रधानता दी।
औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) से उत्पादन पद्धति में बदलाव हुआ। मानव श्रम का स्थान मशीनों ने लिआ। उत्पादन में मात्रात्मक व गुणात्मक परिवर्तन आया। धन सम्पदा में भारी वृद्धि हुई।
औद्यगिक क्रांति (Industrial Revolution) ने मुख्यतः तीन क्षेत्रों में अपने गहरे परिणामो की छाप छोड़ी।
१. आर्थिक परिणाम:
कारखानों के निर्माण से उत्पादन में भारी मात्रा में वृद्धि हुई जिससे व्यापारिक गतिविधियों को जोर मिला। औद्योगिक देश धनी बनने लगे, इंग्लॅण्ड की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी। बदलते हुए आर्थिक व्यवस्था से गृह उद्योगों का पतन हुआ, जिससे रोजगार की तलाश में लोगो ने शहर का रुख किआ और शहरीकरण जन्म हुआ।
औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) ने आर्थिक असंतुलन को जन्म दिआ। विकसित देश अविकसित देशो का शोषण खुलकर करने लगे। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साम्रज्यवादी व्यवस्था मजबूत बनी। उद्योग एवं व्यापार में बैंक एवं मुद्रा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई। बैंकों के माध्यम से लेन-देन सुगम हुआ, चेक और ड्राफ्ट का प्रयोग बढ़ गया। मुद्रा के क्षेत्र में भी विकास हुआ। धातु के स्थान पर कागजी मुद्रा का प्रचलन हुआ।
२. सामाजिक परिणाम:
कृषि क्षेत्र में तकनिकी का उपयोग होने से खाद्य पदार्थो के उत्पादन में वृद्धि हुई जिसने जनसँख्या वृद्धि को सुगम बनाया। औद्योकिग क्रांति (Industrial Revolution) ने मुख्य रूप से तीन नए वर्गों को जन्म दिया। प्रथम पूंजीवादी वर्ग, जिसमें व्यापारी और पूंजीपति सम्मिलित थे। द्वितीय मध्यम वर्ग, कारखानों के निरीक्षक, दलाल, ठेकेदार, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि शामिल थे। तीसरा श्रमिक वर्ग जो अपने श्रम और कौशल से उत्पादन करते थे।
शहर में जनसँख्या बढ़ने के कारण गरीब वर्ग के लोगो को आवास, भोजन, पेयजल आदि का अभाव भुगतना पड़ता था। औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) से पुराने रहन-सहन के तरीकों, वेश-भूषा, रीति-रिवाज, धार्मिक मान्यता, कला-साहित्य, मनोरंजन के साधनों में परिवर्तन हुआ।
३. राजनितिक परिणाम:
औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) ने सामाजिक असमानता को बढ़ावा दिया। पूंजीपति वर्ग और अमीर हो गया तथा मजदूरों के हालात दयनीय हुए। पूंजीपतियों ने श्रमिक वर्ग का शोषण शुरू कर दिया। अन्य वैचारिक धारणाएँ भी औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) के फलस्वरूप उत्पन्न हुई जिसमें उपयोगितावाद, स्वच्छंदवाद (Romanticism) आदि प्रमुख हैं। आगे चलकर औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) से वैश्वीकरण, (ग्लोबलाइजेशन), ग्लोबल वार्मिग, उपभोक्तावाद (कन्ज्यूमरिज्म) जैसी विचारधाराएं अस्तित्व में आई।