7 Habits of Highly Effective People in Hindi

आदतें मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग होती हैं। आदतें हमारी रोजमर्रा के वो काम होती हैं जिन्हे हम बिना ज्यादा सोचे हुए करते हैं। जैसे रोज सुबह उठकर ब्रश करना। इससे पहले कि मैं आपको 7 Habits of Highly Effective People को हिन्दी (7 Habits of Highly Effective People in Hindi) में बताऊँ, मैं आपको आदतों  के महत्त्व के बारे में बताना चाहता हूँ।

आदतें हमारे लिए क्यों जरुरी हैं?

आदतें हमारे चरित्र का निर्माण करती हैं। हमारी आदतें बताती हैं के हम किस प्रकार के मनुष्य हैं। हमारी आदतें हमारी सफलता के शिखर का निर्माण करने में हमारी सहायता करती हैं। आदतें बहुत मजबूत होती हैं। वास्तव में, हमारे दिमाग पर हमारी आदतों का काफी गहरा प्रभाव पड़ता है।

न केवल आदतें महत्वपूर्ण हैं। वे समय के साथ और भी मजबूत होती जाती हैं और अधिक से अधिक स्वचालित होती जाती हैं। तो सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी आदतें अच्छी हों।

आदतें इतनी शक्तिशाली हैं क्योंकि वे न्यूरोलॉजिकल लत बनाती हैं। जैसे अगर किसी धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को सिगरेट न मिले तो वो बेचैन हो जाता है। इसे ही न्यूरोलॉजिकल लत कहते हैं। अच्छी आदतों का भी ऐसा ही है। जैसे कोई रोजाना कसरत करने वाला व्यक्ति जब तक कसरत न कर ले उसे चैन नहीं मिलता।

एक कामयाब और एक नाकामयाब व्यक्ति के बिच का सबसे बड़ा अंतर उनकी आदतें होती हैं।

तो चलिए अत्यधिक प्रभावी/कामयाब व्यक्ति के 7 सबसे महत्वपूर्ण आदतों के बारे में जानते हैं।

ये 7 आदतें महान लेखक Stephen R. Covey की किताब पर आधारित है। Covey प्रभावशीलता को परिभाषित करते हुए कहते हैं कि प्रभावशीलता मनवांछित परिणाम प्राप्त करने तथा जो उन परिणामों को प्राप्त करने में सहायक होते हैं उनकी देखभाल करने के बिच का संतुलन है।

हमारे अनुभव, दुनिया को देखने का हमारा नजरिया बनते हैं। हमे दुनिया वैसी ही दिखाई देती है जैसे हमारे अनुभव होते हैं। अगर हम चाहते हैं की परिस्थितियाँ बदलें तो पहले हमे बदलना होगा। और खुद को बदलने के लिए हमें हमारे अनुभवों को बदलना होगा।

किसी समस्या के प्रति हमारा नज़रिया उस समस्या को बड़ा या छोटा बनाता है। एक सकारात्मक बदलाव के लिए हमें अपने मनोभावों और व्यवहार को केवल बाहर से नहीं बल्कि अंदर से बदलना होगा।

जिन सात आदतों के बारे में हम बात करने जा रहें हैं, ये आदतें सभी कामयाब व्यक्ति के अच्छी आदतों का सम्पूर्ण निचोड़ है। इन आदतों को अपनाकर आप न ही दूसरों को प्रभावित कर पाएंगे बल्कि सफलता के शिखर पर भी पहुँच सकेंगे।

HABIT 1: Be Proactive (सक्रीय होना)

“I am not a product of my circumstances. I am a product of my decisions.” Stephen R. Covey

हमें अपने बर्ताव, परिणाम और विकास के लिए खुद जिम्मेदार बनना चाहिए।

हमने बहुत बार सुना है कि हमारा जीवन हमारी ही देन है, हम स्वयं अपने जीवन के निर्माता हैं। उसके लिए हम अपने माता-पिता, अपने पूर्वजों को दोषी नहीं ठहरा सकते।

सक्रीय (Proactive) होने का मतलब है अपने जीवन के लिए उत्तरदायी बनना। प्रतिक्रियाशील (Reactive) व्यक्ति इसके विपरीत अपने आस पास के माहौल को अपने जीवन में होने वाली चीजों के लिए जिम्मेदार मानता हैं।

हमारे आसपास घटने वाली घटनाएं हमे उस पर प्रतिक्रिया देने के लिए उत्तेजित करती हैं। इन बाह्य कारणों और उस पर हमारी प्रतिक्रिया के बिच हमारी सबसे बड़ी ताकत छुपी होती है। यह ताकत इस बात की स्वतंत्रता है कि हम अपनी प्रतिक्रिया का चुनाव स्वयं कर सकते हैं।

हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली भाषा यह दर्शाती है कि हम स्वयं को कैसे देखते हैं। सक्रीय (Proactive) व्यक्ति हमेशा सक्रिय भाषा का उपयोग करते हैं। जैसे कि मैं कर सकता हूँ, मैं करूँगा, मैं पसंद करता हूँ कि इत्यादि। जबकि प्रतिक्रियाशील (Reactive) व्यक्ति प्रतिक्रियाशील भाषा का उपयोग करते हैं। जैसे कि मैं नहीं कर सकता है, अगर मुझे करना पड़ा तो इत्यादि।

प्रतिक्रियाशील व्यक्ति यह मानते हैं कि वे जो कहते और करते हैं उसके लिए वे उत्तरदायी नहीं हैं। उनके पास और कोई विकल्प नहीं है। जिन चीजों पर हमारा बिल्कुल थोड़ा या फिर थोड़ा भी नियंत्रण नहीं है, ऐसी चीजों पर प्रतिक्रिया देने या फिर उसके विषय में चिंता करने से अच्छा है, हम अपना समय तथा शक्ति ऐसी चीजों पर लगाएं जिसपर हमारा नियंत्रण है। सक्रिय (Proactive) व्यक्ति की यह सबसे बड़ी निशानी है।

हमारे सामने आने वाली समस्याएं, चुनौतियाँ या अवसर दो क्षेत्रों में बटें होते हैं।

  • चिंता का क्षेत्र (Circle of Concern)
  • प्रभाव का क्षेत्र (Circle of Influence)
Habit 1: Be Proactive

सक्रिय व्यक्ति अपने प्रयासों को प्रभाव के क्षेत्र पर केंद्रित रखते हैं। वे हमेशा ऐसी चीजों पर काम करते हैं जिनपर उनका नियंत्रण हो जैसे स्वास्थ्य, बच्चे, कार्यालय की समस्याएं आदि।

प्रतिक्रियाशील व्यक्ति अपने प्रयासों को चिंता के क्षेत्र पर केंद्रित रखते हैं। वे हमेशा उन चीजों के बारे में सोचते हैं जिनपर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। जैसे कि देश का ऋण, आतंकवाद या मौसम।

सक्रीय बनने की दिशा में सबसे बड़ा कदम यह है कि हमे इस बात का पूरा आभाष होना चाहिए कि हम अपनी ऊर्जा किन चीजों पर खर्च करते हैं।

HABIT 2: BEGIN WITH THE END IN MIND (अंत को ध्यान में रखकर शुरुआत करें)

“People are working harder than ever, but because they lack clarity and vision, they aren’t getting very far. They, in essence, are pushing a rope with all of their might.” Stephen R. Covey

अपने समय तथा ऊर्जा को उन चीजों पर केंद्रित करें जिनपर हमारा नियंत्रण है।

किसी भी काम को शुरू करने से पहले, हमे उस काम से क्या परिणाम चाहिए, यह हमारे मस्तिष्क में स्पष्ट होना चाहिए। कई बार हमें सफलता उन चीजों के बदले मिलती है जो चीजें उस सफलता से ज्यादा कीमती थी। सफलता के लिए हम जिस सीढ़ी का उपयोग करते हैं अगर वह सही दीवार के साथ नहीं टिकी हुई है तो हमारा आगे बढ़ने वाला हर कदम हमे गलत दिशा में तेजी से ले जाता है।

यह आदत हमारी कल्पना शक्ति पर आधारित है। इस क्षमता से हम उन चीजों को अपने दिमाग में देख सकते हैं जो हम आखों से नहीं देख सकते। यह इस सिद्धांत पर आधारित है कि हर चीज का दो बार निर्माण होता है। पहली बार हमारे दिमाग में और फिर वास्तविकता में। जिस तरह मकान बनाने से पहले उसका नक्शा बनता है, उसी तरह वास्तिक बनने वाली हर चीज का नक्शा पहले दिमाग में बन चुका होता है।

यदि आप यह कल्पना करने का प्रयास नहीं करते हैं कि आप कौन हैं और आप जीवन में क्या चाहते हैं, तो आप अन्य लोगों और परिस्थितियों को, आपको और आपके जीवन को आकार देने के लिए सशक्त बनाते हैं। इसी तरह यह अपनी विशिष्टता को पहचानने और फिर व्यक्तिगत, नैतिक और नैतिक दिशानिर्देशों को परिभाषित करना है। जिसके भीतर हम अपनी खुशी को पूरी तरह से व्यक्त कर सकते हैं और अपने आप को पूरा कर सकते हैं।

Habit 2: Begin with the End in Mind

अंत ध्यान रखकर शुरुआत करने का मतलब है कि हर दिन, हर कार्य को स्पष्ट दृष्टि के साथ शुरू करना जो हमे हमारी मन चाही दिशा और मंज़िल तक ले जाये। और अपनी सभी इन्द्रियों को उस काम को पूरा करने में लगा देना।

इस आदत को अपनाने का सबसे आसान तरीका अपने जीवन में व्यक्तिगत मिशन वक्तव्य (Personal Mission Statement) को विकसित करना है। जो इस दिशा में केंद्रित होना चाहिए कि हमे क्या करना है और क्या बनना है। यह पुन: पुष्टि करता है कि आप कौन हैं, अपने लक्ष्यों को ध्यान में रखते हैं, और अपने विचारों को वास्तविक दुनिया में स्थानांतरित करते हैं। आपका मिशन वक्तव्य आपको अपने जीवन का सूत्रधार बनाता है। आप अपना भाग्य खुद बनाते हैं और भविष्य की कल्पना करते हैं।

HABIT 3: PUT FIRST THINGS FIRST (महत्वपूर्ण कार्यों को प्राथमिकता दें)

“Putting first things first means organizing and executing around your most important priorities. It is living and being driven by the principles you value most, not by the agendas and forces surrounding you.” Stephen R. Covey

सबसे महत्वपूर्ण कार्यों को पहले पूरा करें।

अधिक संतुलित जीवन जीने के लिए, हमें यह पहचानना होगा कि हर काम उसी समय करना जरुरी नहीं हैं। अपने क्षमता से ज्यादा काम करने की जरुरत नहीं है। हमे एहसास होना चाहिए कि जब हमे लगे तो हमे कुछ कार्यों को करने से मना कर देना चाहिए और यह गलत नहीं है। और फिर अपनी प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

यह आदत पहली और दूसरी आदत का समन्वय है। और यह रोजमर्रा के कामों में होता है। यह समय प्रबंधन के क्षेत्र में पूछे जाने वाले कई सवालों से संबंधित है। लेकिन ये आदत जीवन प्रबंधन के बारे में है – आपका उद्देश्य, मूल्य, भूमिका और प्राथमिकताएं।

कौन सी चीजें प्राथमिक हैं?

प्राथमिकता उन चीजों को मिलनी चाहिए जिन्हे हम निजी तौर पर सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं। अगर हम महत्वपूर्ण चीजों को प्राथमिकता देते हैं तो हम निजी प्राथमिकताओं के आधार पर अपने समय का आयोजन कर सकते हैं।

Habit 3: PUT FIRST THINGS FIRST

हर हफ्ते योजना बनायें।

  • मिशन, भूमिकाओं और लक्ष्यों से जुड़ें
  • बड़े कामों को अनुसूचित करें
  • बाकि दूसरी चीजों को व्यवस्थित रखें

HABIT 4: THINK WIN-WIN (सबकी जीत हो)

“In the long run, if it isn’t a win for both of us, we both lose. That’s why win-win is the only real alternative in interdependent realities.” Stephen R. Covey

जरुरी परिणाम प्राप्त करने के लिए, हमे दूसरों के साथ मिलकर प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए।

इस आदत का मुख्य उदेश्य “सबकी जीत हो” है। हमें सिर्फ अपने फायदे को छोड़कर सबके फायदे के बारे में सोचना चाहिए। इस आदत से हमारा दूसरों के साथ समबन्ध और भी प्रभावशाली बनता है। ऐसा सोचना हमे दुसरो के सामने अच्छा दिखने की लिए नहीं है। यह मनुष्य के बातचीत करने तथा दूसरों के साथ सहयोग करने का एक चरित्र है।

हम अक्सर दूसरों से तुलना और प्रतिस्पर्धा के आधार पर अपना वर्चस्व बनाना सीखते हैं। हम अक्सर अपनी जीत को दूसरे की हार से समझते हैं। जैसे अगर मैं जीतता हूँ तो सामने वाला हार जाता है या यदि सामने वाला जीतता है तो मैं हार जाता हूँ।

मानो जीत एक बड़ी रोटी है, जिसका बड़ा हिस्सा अगर आपको मिल जाता है तो मेरे लिए कम बचेगा और मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करता हूँ कि सामने वाले को बड़ा हिस्सा न मिले। ऐसा लगता है जैसे हम सब खेल रहे हों जिसमे हम दूसरे को हराने में लगे रहते हैं।

सबकी जीत, एक दूसरे को खुदके के मददगार के रूप में देखती है, न कि प्रतिस्पर्धा के रूप में। यह आदत मन और दिल की ऐसी स्तिथि है जो हर काम में सबके जीत को देखती है। इसका अर्थ है कि समझौता सबके लिए लाभदायक और संतोषजनक होता है। हम दोनों जीतते हैं और इसका आनंद उठा सकते हैं।

कोई व्यक्ति या संगठन जो “सबकी जीत हो” के दृष्टिकोण के साथ संघर्ष करता है उसके मुख्य तीन लक्षण होते हैं।

  1. वफ़ादारी (Integrity): अपनी सच्ची भावनाओं, मूल्यों और प्रतिबद्धताओं के साथ चिपके रहना
  2. परिपक्वता (Maturity): अपने विचारों और भावनाओं को साहस और विचार के साथ, दूसरों के विचारों और भावनाओं के लिए व्यक्त करना
  3. बहुतायत मानसिकता (Abundance Mentality): यह विश्वास करना कि सभी के लिए बहुत कुछ है
Habit 4: Think Win-Win

बहुत से लोग “या” के सन्दर्भ में सोचते हैं: या तो आप अच्छे है या तो बहुत कठिन हैं। “सबकी की जीत हो” इसके लिए ये दोनों ही आवश्यक हैं। यह साहस और विचार के बीच का संतुलन कार्य है।

सबकी जीत हो इसके लिए, हमें न केवल सहानुभूतिपूर्ण होना होगा, बल्कि आत्मविश्वासी भी होना होगा। हमें न केवल विचारशील और संवेदनशील होना होगा, बल्कि बहादुर भी बनना होगा। ऐसा करने के लिए – साहस और विचार के बीच का संतुलन प्राप्त करना – वास्तविक परिपक्वता और “सबकी जीत हो” का मौलिक आधार है।

HABIT 5: SEEK FIRST TO UNDERSTAND, THEN TO BE UNDERSTOOD (पहले दूसरों को समझो फिर अपनी बात समझाओ)

“If I were to summarize in one sentence the single most important principle I have learned in the field of interpersonal relations, it would be this: Seek first to understand, then to be understood.” Stephen R. Covey

हमें सभी स्तरों पर प्रभावी ढंग से बात करनी चाहिए।

हमे दूसरों से कैसे बातचीत करनी चाहिए, उसकी योग्यता जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। हम बचपन में लिखना, पढ़ना और बोलना सीखते हैं। लेकिन हमें कैसे सुनना चाहिए ये हमें किसी ने सिखाया ही नहीं।

क्या हमने सुनने के लिए कोई प्रशिक्षण लिया है जो हमे इस तरह सुनने में सक्षम बनाये जिससे हम दूसरे इंसान को गहराई से समझ सकें। हममे से ज्यादा तर लोग ये चाहते हैं कि सामने वाला हमे समझे और हमारी बात माने। और ऐसा करने में हम सामने वाले इंसान को अनजाने में अनदेखा कर सकते हैं। हम अनजाने में ऐसा दिखावा करते हैं कि हम सुन रहे हैं, जबकि हम बातचीत के कुछ भाग को या कुछ शब्दों को सुनते हैं और उसके अर्थ पर ध्यान नहीं दे पाते।

ऐसा क्यों होता है?

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हममे से बहुत से लोग जवाब देने के उद्देश्य से सुनते हैं , न कि समझने के उद्देश्य से। हम इस तरह सुनते हैं जैसे इसके बाद हमें क्या बोलना है या हमें क्या सवाल पूछना है। हम जो भी सुनते हैं उसे हम अपने जीवन के अनुभवों के सन्दर्भ से फ़िल्टर कर लेते हैं। हम सिर्फ यह ध्यान देते हैं कि सामने वाला हमारे खिलाफ बोल रहा है और उसके आधार पर दूसरे व्यक्ति की बात पूरी होने से पहले ही निष्कर्ष निकाल लेते हैं।

Habit 5: Seek First To Understand then To be Understood

क्योंकि हम अक्सर आत्मकथात्मक के रूप में सुनते हैं, हम चार तरीकों में से किसी एक तरीके में जवाब देते हैं।

  • मूल्यांकन (Evaluating): हम न्याय करते हैं और फिर सहमत या असहमत होते हैं।
  • जांच (Probing): हम अपने संदर्भ के फ्रेम से सवाल पूछते हैं।
  • परामर्श देना (Advising): हम समस्याओं पर परामर्श, सलाह और समाधान देते हैं।
  • व्याख्या करना (Interpreting): हम अपने अनुभवों के आधार पर दूसरों के उद्देश्यों और व्यवहारों का विश्लेषण करते हैं

हम ऐसा सोचेंगे के कि अपने अनुभवों के आधार पर दूसरों का मूल्यांकन करने में बुराई ही क्या है। ऐसा सिर्फ उन परिस्थितियों में उचित है जब सामने वाला हमारे अनुभवों के आधार पर हमारी मदद मांगता है।

HABIT 6: SYNERGIZE (तालमेल)

“Synergy is not the same as compromise. In a compromise, one plus one equals one and a half at best.” Stephen R. Covey

हमे उन लोगों के साथ नई चीजों का अविष्कार और समस्या का समाधान करना चाहिए जिनका दृष्टिकोण अलग है।

तालमेल का सीधा अर्थ है एक से भले दो। तालमेल एक रचनात्मक सहयोग की आदत है। यह टीम वर्क, खुले दिमाग और पुरानी समस्याओं के नए समाधान खोजने का रोमांच है। लेकिन यह सिर्फ अपने दम पर नहीं होता है। यह एक प्रक्रिया है, और उस प्रक्रिया के माध्यम से, लोग अपने सभी व्यक्तिगत अनुभव और विशेषज्ञता को सामने रखते हैं।

साथ में वो अकेले की अपेक्षा और भी बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। तालमेल हमें संयुक्त रूप से उन चीजों की खोज करने देता है जिनकी हम खुद से बहुत कम खोज करते हैं। एक और एक तीन, या छह, या साठ के बराबर होता है – आप इसे नाम देते हैं।

जब लोग वास्तव में एक साथ बातचीत करना शुरू करते हैं, और वे एक-दूसरे से प्रभावित होने के लिए तत्पर रहते हैं, तो वे नई अंतर्दृष्टि प्राप्त करना शुरू करते हैं। मतभेदों के कारण नए दृष्टिकोणों का आविष्कार करने की क्षमता में तेजी से वृद्धि होती है।

Habit 6: Sunergize

हमें अपने तालमेल में होने को पता खुद चल जाता है, जब हमारे साथ निचे बताये गए अनुभव होते हैं।

  • ह्रदय परिवर्तन होना
  • नई ऊर्जा और उत्साह महसूस करना
  • चीजों को नए नज़रिये से देखना
  • संबंधों में बदलाव महसूस करना
  • साथ मिलकर बेहतर परिणाम प्राप्त करना

विचारों में होने वाले अंतर का सम्मान करना तालमेल बढ़ाता है। क्या आप वास्तव में लोगों के बीच मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक मतभेदों को महत्व देते हैं? या क्या आप चाहते हैं कि हर कोई बस आपसे सहमत हो ताकि सभकुछ आपको मिल सके? मतभेदों को ताकत के रूप में देखा जाना चाहिए, कमजोरियों के रूप में नहीं। वे जीवन में उत्साह जोड़ते हैं।

HABIT 7: SHARPEN THE SAW (अपने गुणों को निखारें)

“Renewal is the principle—and the process—that empowers us to move on an upward spiral of growth and change, of continuous improvement. ” Stephen R. Covey

हमें अपने काम में तथा खुद में निरंतर नए तरीकों की तलाश करनी चाहिए। हमारे गुण हमारी संपत्ति होते हैं, हमे लगातार उसका संरक्षण करना चाहिए तथा उसमे वृद्धि करनी चाहिए। इसका मतलब है कि अपने जीवन के चार क्षेत्रों में आत्म-नवीनीकरण के लिए एक संतुलित कार्यक्रम है: शारीरिक, सामाजिक / भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक। इसके कुछ उदहारण निचे दिए गए हैं।

  • शारीरिक: फायदेमंद भोजन, व्यायाम और आराम करना
  • सामाजिक / भावनात्मक: दूसरों के साथ सामाजिक और सार्थक संबंध बनाना
  • मानसिक: सीखना, पढ़ना, लिखना और सिखाना
  • आध्यात्मिक: प्रकृति में समय व्यतीत करना, ध्यान, संगीत, कला, प्रार्थना, या सेवा के माध्यम से आध्यात्मिक आत्म का विस्तार करना

जैसे ही हम अपने जीवन के चार क्षेत्रों में से प्रत्येक में खुद को नवीनीकृत करते हैं, हम अपने जीवन में विकास और परिवर्तन करते हैं। यह आदत आपको उत्साहित रखती है जिसका उपयोग हम दूसरी छ आदतों के अभ्यास के लिए कर सकते हैं। इससे हम अपने सामने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनते हैं। इस नवीनीकरण के बिना, शरीर कमजोर हो जाता है, मन यांत्रिक, भावनाएं कच्ची, आत्मा असंवेदनशील, और व्यक्ति स्वार्थी हो जाता है।

Habit 7: Sharpen the Saw

संतुलन में जीवन जीने का अर्थ है अपने आप को नवीनीकृत करने के लिए आवश्यक समय देना। यह सब हम पर निर्भर है। हम विश्राम के माध्यम से खुद को नवीनीकृत कर सकते हैं। या हम हर चीज को ओवरडोज करके खुद को पूरी तरह से जला सकते हैं।

हम खुद को मानसिक और आध्यात्मिक रूप से संभाल सकते हैं। हम  जीवंत ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं। या हम अच्छे स्वास्थ्य और व्यायाम के लाभों के बारे में जान सकते हैं। हम खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं और शांति और सद्भाव में एक नए दिन का सामना कर सकते हैं। बस याद रखें कि हर दिन नवीनीकरण के लिए एक नया अवसर प्रदान करता है – दीवार से टकराने के बजाय खुद को रिचार्ज करने का एक नया अवसर। यह सब इच्छा, ज्ञान, और कौशल से संभव कर सकते हैं।

ये वो सात आदतें हैं जिनको अपने अंदर ढालकर हम अपने जीवन में कामयाबी की नई ऊँचाइयाँ प्राप्त कर सकते हैं। मैंने अपने इस लेख में आपको Stephen R. Covey के किताब में बताई गई अत्यधिक प्रभावी लोगों की 7 आदतों (7 Habits of Highly Effective People in Hindi) को बताया है। मैं आशा करता हूँ कि आप इन सात आदतों का उपयोग करके खुद को एक प्रभावी व्यक्ति के चरित्र में ढाल सकेंगे।  

उदाहरण के तौर पर आप किसी एक आदत को अपनाकर उससे अपने जीवन में होने वाले अनुकूल बदलाव को महसूस करेंगे। जो आपको बाकि आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगी।

पढ़ते रहिये, अपने आपको बेहतर बनाते रहिये।
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